तोर सुरता मा, ये मन भँवरा गुन-गुनावत रहिथे वो
तोर सुरता मा, ये मन कोयली कुह-कुहावत रहिथे ना
पाखी बांधे, जीव अगास उड़ावत रहिथे ना
गुलैची उड़ावत रहिथे ना
पाखी बांधे, जीव अगास उड़ावत रहिथे ना
गुलैची उड़ावत रहिथे ना
तोर सुरता मा, ये मन भँवरा गुन-गुनावत रहिथे वो
तोर सुरता मा, ये मन कोयली कुह-कुहावत रहिथे ना
का बस्ती, का बंजर झाड़ी
का नदिया पहाड़, बैरी का नदिया पहाड़
तोर सुरतैई मा, मैं हव दीवाना किंजरव खारे-खार
बैरी किंजरव खारे-खार
मोहनी डारे बरोबर, मन मतावत रहिथे ना
गुलैची मतावत रहिथे ना
तोर सुरता मा, ये मन कोयली कुह-कुहावत रहिथे ना
तोर सुरता मा, ये मन भँवरा गुन-गुनावत रहिथे ना
का अंगना, का परछी बारी
ये तुलसी के चौंरा राजा, ये तुलसी के चौंरा
तोर मया मा बाजै पैरी
झमके घाट घठौधा राजा, झमके घाट घठौधा
जादू डारे कस ये जीव जुग-जुगावत रहिथे ना
जुग-जुगावत रहिथे ना
तोर सुरता मा, ये मन भँवरा गुन-गुनावत रहिथे ना
तोर सुरता मा, ये मन कोयली कुह-कुहावत रहिथे ना
आजा आजा मोर मयारू मया के बस्ती बसाबो
जोड़ी मया के बस्ती बसाबो
सुख दुःख के अंधियारी डहर मा मया के जोत जलाबो
संगी मया के जोत जलाबो
मया बिना जीव जोनी ह
दुःख पावत रहिथे ना दुःख पावत रहिथे
तोर सुरता मा, ये मन भँवरा गुन-गुनावत रहिथे ना
तोर सुरता मा, ये मन कोयली कुह-कुहावत रहिथे ना
पाखी बांधे, जीव अगास उड़ावत रहिथे ना
गुलैची उड़ावत रहिथे ना
पाखी बांधे, जीव अगास उड़ावत रहिथे ना
गुलैची उड़ावत रहिथे ना
तोर सुरता मा, ये मन भँवरा गुन-गुनावत रहिथे ना
तोर सुरता मा, ये मन कोयली कुह-कुहावत रहिथे ना
तोर सुरता मा, ये मन भँवरा गुन-गुनावत रहिथे ना
गायन शैली : ?
गीतकार : लक्ष्मण मस्तुरिया
रचना के वर्ष : 1982
संगीतकार : खुमान गिरजा
गायक : कुलेश्वर ताम्रकार, कविता वासनिक (हिरकने)
संस्था/लोककला मंच : ?
यहाँ से आप MP3 डाउनलोड कर सकते हैं
गीत सुन के कईसे लागिस बताये बर झन भुलाहु संगी हो …
सितम्बर 13, 2010 @ 23:33:47
कैसा सुंदर गीत ल निकाले हस ग. हमन संजीव तिवारी जी भी रीसे अउ संजू भाई, अनूप पांडे जी, राकेश तिवारी जी टमरत रहेन के कोने छत्तीसगढ़ी गीत संगी, अउ हमन का मदत कर सकत हन. वइसे तोर बूता ह अकेल्ला घलो म जबदरस्त चलत हे. अइसन्हे धिल्लगाके चलात रइबे लकर-लउहा करे के कोई जरूरत नइये. बड़े काम होथे. अतके नेत रइही तभो कोई हरजा नइये. जे काम के सोंच-बिचार अतका पान सुघ्घर हे, ते हर अइसनहे म फभथे अउ फभत हे. बाह भाई बाह. तोर संदेस पाथवं अउ मन फेर गदगद हो जाथे ग.
सितम्बर 14, 2010 @ 08:09:44
गीत के बारे म ज्यादा जानकारी नई मिल पाए के कारण ओकर बारे म ज्यादा जानकारी नई दे पावत हव । मैं सोचे रेहेंव संगवारी मन अपन सुरता अउ जानकारी ल टिप्पणी करके सब संग बाँटही जेकर ले, ये कमी ह दूर हो जही कईके, फेर संगवारी मन के ओमा रूचि नई दिखत हे …
मई 18, 2011 @ 11:10:06
FULL-TO-FATAK
नवम्बर 19, 2011 @ 12:53:59
तोर संदेस पाथवं अउ मन फेर गदगद हो जाथे ग.
दिसम्बर 01, 2011 @ 15:45:17
Sundar geet havae
जून 04, 2013 @ 21:55:10
this song’s very sweet thanks for visit this site and download this song
फरवरी 18, 2015 @ 16:04:20
Bahut achha lagta hair jab is type ka gana sunne ko milta hai
जुलाई 12, 2015 @ 14:04:08
Bahut badiya he
जुलाई 28, 2016 @ 11:49:23
achchha lagis
अक्टूबर 04, 2016 @ 10:42:26
Bhaiyaji panchram mirjha ke jasgeet uplod kro n.
नवम्बर 14, 2016 @ 08:06:56
Aap man la bahut bahut dhanyavad jai johar aap man k mehnat k khatir mor purana geet k sauk ha aaj bhi bane rahathe bas ek du than git la thorkun mehnat karke upload kar dehu ta bada kripa karhu git ke bol he chal sangi dewta la manabo, bhilai k maitri bag dikhade sauk lage he.
अगस्त 01, 2017 @ 06:00:08
गाना काबर डाउनलोड नई होय
नवम्बर 08, 2018 @ 12:45:55
Bahut badiha tamrakar sahab