सुन संगवारी मोर मितान, देश के धारन तहीं परान
हावय करनी तोर महान, पेट पोसइया तहीं किसान
का लुबे गरुवा खाए बिरो पान, पूछी उखड़गे जरगे कान
बुढवा बइला ल देदे, बुढवा बइला ल देदे दान, जय गंगा
देख, देख देख देख, देख, देख देख देख
देख दे, देख दे, देख दे, दे~ख
(ले अउ सुना डर महराज)
अपन देश कके अजब सुराज
भूखन लांघन कतको आज, मुसवा खाथे भरे अनाज
कटगे नाक बेचागे लाज , नित नियाव म गिरगे गाज
बैठांगुर बर खीर सोहारी, खरतरिहा नइ पावे मान
बुढवा बइला ल देदे, बुढवा बइला ल देदे दान, जय गंगा
देख, देख देख देख, देख, देख देख देख
देख दे, देख दे, देख दे, दे~ख
(ले अउ सुना डर महराज)
मंहगाई बाढ़े हर साल
व्यापारी होवत हे लाल, अफसर सेठ उड़ावे माल
बेचत हे गरीब के खाल, रोज बने जनता कंगाल
का गोठियावव सब जानत हे, बैरी बनगे आज मितान
बुढवा बइला ल देदे, बुढवा बइला ल देदे दान, जय गंगा
देख, देख देख देख, देख, देख देख देख
देख दे, देख दे, देख दे, दे~ख
(ले अउ सुना न महराज)
उठ संगवारी अब तो जाग
हांका पार लगा एकबार, तपनी रोज तपईहा मनबर
तैंहर बन जा संउहट नाग, तब तो अपन जगाबे भाग
गौकी जोघा सबे माढ़ही, घर घर होही नव बिहान
बुढवा बइला ल देदे, बुढवा बइला ल देदे दान, जय गंगा
देख, देख देख देख, देख, देख देख देख
देख दे, देख दे, देख दे, दे~ख
सुन संगवारी मोर मितान, देश के धारन तहीं परान
हावय करनी तोर महान, पेट पोसइया तहीं किसान
का लुबे गरुवा खाए बिरो पान, पूछी उखड़गे जरगे कान
बुढवा बइला ल देदे, बुढवा बइला ल देदे दान, जय गंगा
देख, देख देख देख, देख, देख देख देख
देख दे, देख दे, देख दे, दे~ख
गायन शैली : ?
गीतकार : ?
रचना के वर्ष : ?
संगीतकार : ?
गायिका : लता खापर्डे अउ साथी
एल्बम : ?
संस्था/लोककला मंच : ?
रिकार्डिंग : ?
यहाँ से आप MP3 डाउनलोड कर सकते हैं
गीत सुन के कईसे लागिस बताये बर झन भुलाहु संगी हो …
राहुल सिंह
फरवरी 26, 2011 @ 09:31:58
संभवतः लक्ष्मण मस्तुरिया जी की रचना, जो दाउ रामचंद्र देशमुख के चंदैनी गोंदा में भी गायी जाती थी.
bhevant agrawal
मार्च 14, 2011 @ 18:26:25
jai ram jai johar,mola atek achha lagis aaj lucknow me baithe baithe, ye rachana la padh ke, mor rag rag me chhattisgari mati ke rang ha bhare he,
aap man ke duaa se mahu ha natak ma aau film ma kam karthoun , man ma bahut ikchha ha hai,ki ek baar chhattisgari natak ma kam karek, d
ab jyda nai likhiun,
aap man ke sangvaari
Bhevant
bhevant agrawal
मार्च 14, 2011 @ 18:30:05
Chalo sangvari ek baar chhattisgarh ke naam rosan karbo
Siv Prasad Sajag
अप्रैल 22, 2011 @ 13:08:46
git to bane lagis sangi fer sun ke gune bar parge . ki desh la ajad hove kai sal hoge fer kisan ke halat ma kono sudar ni hois. okar halt bad se badatar hot jat he. sarka vot ke rajnit bar niti bana k thagte .kabhu kisan wyapari man k changul ma fas k khude thagate. laghan-bhukhan rhi k jagr tor kamaye k bahd bhi laika ke bihaw kare khatir khet la mahraj kara girvi rakha ke pardes jayech la prthe. sarkar 100 din k rojgar k dikava kar k palayan k bat le mukr jathe. hai re mor sangvari kisan.!
हरख जैन पप्पू
मई 07, 2011 @ 07:15:25
छत्तीसगढ़ के महक को फ़ैलाने का पुनीत कार्य है यह. हम अपनी ही कला ,संस्कृति से भाग रहे हैं .
हरख जैन पप्पू.
Budheshwar kurre
अक्टूबर 23, 2012 @ 19:44:58
Gaana abbad sugghar lagis sangwari.
Bas mor ek than vinati rahis k, mamta chandrakar k gaye jatka gana he okar sangrah ghalo ema jod daw ta au jada khusi hohi
कल्याणसिँह पटेल
नवम्बर 22, 2012 @ 21:35:45
आज हमर देश के परस्थिति अईसनेहेच हो गे हे
Rakesh Verma
दिसम्बर 07, 2012 @ 21:54:42
exlent sir
Chhaliya Ram Sahani 'ANGRA'
दिसम्बर 04, 2014 @ 14:32:33
Bhatari ke goth baat au geet mohani barobar ye ,au hamar chhattisgarh ke dani pravriti ke bakhan karathe.
SANUK LAL YADAV
मई 06, 2016 @ 07:48:32
समाज के लिये एक संदेश बहुत सुघ्घर गीत।
lokrang cg lokrang cg
मई 05, 2018 @ 12:24:03
Kitna sunder hai ye git sun Kar man ko santi milti hai Jay Ho chhattishgarh mahatari