बस्तर अंचल के हल्बी-भतरी और बस्तरी परिवेश में धनकुल गीतों की महत्त्वपूर्ण परम्परा रही है। धनकुल गीत के अन्तर्गत चार जगार गाये जाते हैं। इन चारों जगार (आठे जगार, तीजा जगार, लछमी जगार और बाली जगार) की प्रकृति लोक महाकाव्य की है। ये चारों लोक महाकाव्य अलिखित हैं और पूरी तरह वाचिक परम्परा के सहारे मुखान्तरित होते आ रहे हैं। इनमें से आठे जगार, तीजा जगार और लछमी जगार की भाषा हल्बी एवं कहीं-कहीं हल्बी-भतरी-बस्तरी मिश्रित है, जबकि बाली जगार की भाषा भतरी और देसया। इन गीतों का स्वरूप कथात्मक और अकथात्मक दोनों ही है। कथात्मक गीतों के अन्तर्गत उपर्युक्त चारों लोक महाकाव्य आते हैं जबकि अकथात्मक गीतों की श्रेणी में इन चारों जगारों के गायन के समय बीच-बीच में गाये जाने वाले “चाखना गीत’।
चाखना गीतों के अन्तर्गत दो तरह के चाखना गीत आते हैं। पहला सामान्य तौर पर गाया जाने वाला चाखना गीत होता है जिसमें हास्य, श्रृंगार अथवा शान्त रस का पुट होता है। इस श्रेणी के चाखना गीतों को ‘सादा चाखना’ के नाम से अभिहित किया जा सकता है जबकि दूसरी श्रेणी का चाखना गीत पूरी तरह से देवाराधना का गीत होता है इसीलिये इस श्रेणी के चाखना गीतों को ‘देव चाखना’ के नाम से जाना जाता है। सादा चाखना पूरी तरह मनोरंजन प्रधान गीत होते हैं जबकि देव चाखना देवी को रिझाने और उसकी आराधना में गाये जाने वाले गीत। देव चाखना गीतों के गायन के लिये प्रायः देवी स्वयं ही गुरुमायों से आग्रह करती दीख पड़ती है। और जब देव चाखना गीत गाये जाते हैं तब देवी प्रसन्न हो कर नृत्य करने लगती है। ऐसे में उसके नृत्य में किसी भी तरह का व्यवधान उसे सह्र नहीं होता।
यहाँ प्रस्तुत गीत ‘सादा चाखना गीत’ है। अपनी माता स्व.जयमणि वैष्णव से सुने इस चाखना गीत को गाया है श्री खेम वैष्णव और उनके साथियों ने 1990 में। इस गीत में हनुमान जी द्वारा सीता की खोज में लंका गमन का वर्णन है। गीत सुनने से पहले श्री खेम वैष्णव जी का परिचय हो जाए
आलेख, संकलन : श्री हरिहर वैष्णव
सम्पर्क : सरगीपाल पारा, कोंडागाँव 494226, बस्तर-छत्तीसगढ़।
दूरभाष : 07786-242693
मोबाईल : 93004 29264
ईमेल : hariharvaishnav@gmail.com
यहाँ प्रस्तुत है एक ‘सादा चाखना गीत’। अपनी माता स्व.जयमणि वैष्णव से सुने इस चाखना गीत को गाया है श्री खेम वैष्णव और उनके साथियों ने 1990 में। इस गीत में हनुमान जी द्वारा सीता की खोज में लंका गमन का वर्णन है :
चलो सखी लंका गड़ के कुदलो हनुमान
चलो सखी लंका गड़ के कुदलो हनुमान
अछा मँजा दिली राम, अछा मँजा दिली राम
कोन गड़ के कुदलो हनुमान
चलो सखी कोन गड़ के कुदलो हनुमान,
अछा मँजा दिली राम, अछा मँजा दिली राम
कोन गड़ के कुदलो हनुमान
चलो सखी कोन गड़ के कुदलो हनुमान।
अछा मँजा दिली राम, अछा मँजा दिली राम
लंका गड़ के कुदलो हनुमान
चलो सखी लंका गड़ के कुदलो हनुमान
अछा मँजा दिली राम, अछा मँजा दिली राम
लंका गड़ के कुदलो हनुमान
चलो सखी लंका गड़ के कुदलो हनुमान।
अछा मँजा दिली राम, अछा मँजा दिली राम
काय फर के खादलो हनुमान
चलो सखी काय फर के खादलो हनुमान
अछा मँजा दिली राम, अछा मँजा दिली राम
काय फर के खादलो हनुमान
चलो सखी काय फर के खादलो हनुमान।
अछा मँजा दिली राम, अछा मँजा दिली राम
रामफर के खादलो हनुमान
चलो सखी रामफर के खादलो हनुमान
अछा मँजा दिली राम, अछा मँजा दिली राम
रामफर के खादलो हनुमान
चलो सखी रामफर के खादलो हनुमान।
अछा मँजा दिली राम, अछा मँजा दिली राम
कोन बन ने गेलो हनुमान
चलो सखी कोन बन ने गेलो हनुमान
अछा मँजा दिली राम, अछा मँजा दिली राम
कोन बन ने गेलो हनुमान
चलो सखी कोन बन ने गेलो हनुमान।
अछा मँजा दिली राम, अछा मँजा दिली राम
कदली बन ने गेलो हनुमान
चलो सखी कदली बन ने गेलो हनुमान
अछा मँजा दिली राम, अछा मँजा दिली राम
कदली बन ने गेलो हनुमान
चलो सखी कदली बन ने गेलो हनुमान
चलो सखी लंका गड़ के कुदलो हनुमान
चलो सखी लंका गड़ के कुदलो हनुमान
चलो सखी लंका गड़ के कुदलो हनुमान
चलो सखी लंका गड़ के कुदलो हनुमान
चलो सखी लंका गड़ के कुदलो हनुमान
चलो सखी लंका गड़ के कुदलो हनुमान।
क्षेत्र : बस्तर (छत्तीसगढ़)
भाषा : हल्बी
गीत-प्रकार : लोक गीत
गीत-वर्ग : आनुष्ठानिक गीत, जगार गीत, (य) चाखना गीत, 01-सादा चाखना
गीत-प्रकृति : अकथात्मक
गीतकार : पारम्परिक
गायक/गायिका : अर्चना मिश्र तथा खेम वैष्णव एवं साथी (कोंडागाँव, बस्तर-छ.ग.)
ध्वन्यांकन : 1990
ध्वन्यांकन एवं संग्रह : हरिहर वैष्णव
यहाँ से आप MP3 डाउनलोड कर सकते हैं
चाखना सुन के कईसे लागिस बताये बर झन भुलाहु संगी हो …
संगी मन के गोठ …