आदमी के अंदर का जानवर जब-जब जगता है, तब-तब ऐसी घटना होती है जिसे एक सभ्य समाज के लिए कलंक कहा जा सकता है। विगत दिनों हुए बलात्कार की घटनाएं निश्चित ही हमें शर्मसार करती है। समाज में ऐसे जानवरों के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए। जानवर एकबार जब आदमी को मारकर खा जाता है तो वो आसान शिकार के रूप में आदमीयों पर बारबार हमले करता है, उन्हें खाने लगता है और आदमखोर हो जाता है। आदमीयों के सुरक्षा हेतु आदमखोर को अंत में गोली मारनी ही पड़ती है। आज समय आ गया है ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए ऐसे आदमखोर आदमियों से समाज की सुरक्षा हेतु कानून में आवश्यक संशोधन कर उन्हें फांसी पर लटका दिया जाए।
आज जो गीत आपको सुना रहें है वो बलात्कार पीड़ित लड़की की व्यथा-कथा को बयां करती है, जिसे गाया है श्रीमति कुलवंतीन मिर्झा ने, श्रीमति कुलवंतीन मिर्झा जी प्रसिद्ध लोकगायक स्व.श्री पंचराम मिर्झा की धर्मपत्नी हैं। आइये सुनते हैं आज का गीत
तेहां आगी के ओखी आये रे, भरमाये रे चोला में दाग लगा दिये ना
तेहां आगी के ओखी आये रे, भरमाये रे काया में दाग लगा दिये ना
चोला में दाग लगा दिये बैरी, काया में दाग लगा दिये ना
काया में दाग लगा दिये काबर, चोला में दाग लगा दिये ना
तेहां आगी के ओखी आये रे, भरमाये रे चोला में दाग लगा दिये ना
तेहां आगी के ओखी आये रे, भरमाये रे काया में दाग लगा दिये ना
गाँव गे रिहिन दाई-ददामन
रेहेंव अकेल्ला घर में
रेहेंव अकेल्ला घर में
गाँव गे रिहिन दाई-ददामन
रेहेंव अकेल्ला घर में
रेहेंव अकेल्ला घर में
आनी-बानी गोठियाये रे बैरी
छल-डारे मोला छल में
छल-डारे मोला छल में
आनी-बानी गोठियाये रे बैरी
छल-डारे मोला छल में
छल-डारे मोला छल में
घटा बरोबर आये रे काबर~
घटा बरोबर आये रे काबर
पाप लगा दिये ना
काबर पाप लगा दिये ना
तेहां आगी के ओखी आये रे, भरमाये रे चोला में दाग लगा दिये ना
तेहां आगी के ओखी आये रे, भरमाये रे काया में दाग लगा दिये ना
चोला में दाग लगा दिये बैरी, काया में दाग लगा दिये ना
काया में दाग लगा दिये पापी, चोला में दाग लगा दिये ना
तेहां आगी के ओखी आये रे, भरमाये रे चोला में दाग लगा दिये ना
तेहां आगी के ओखी आये रे, भरमाये रे काया में दाग लगा दिये ना
सुन्ना पाये घर-ला तिजोरी में
डार दिये तेहां डाका
डार दिये तेहां डाका
सुन्ना पाये घर-ला तिजोरी में
डार दिये तेहां डाका
डार दिये तेहां डाका
कतको रोयेंव
कतको कलपेंव
माने नहीं मोर भाखा
माने नहीं मोर भाखा
कतको रोयेंव
कतको कलपेंव
माने नहीं मोर भाखा
माने नहीं मोर भाखा
चोरी करे काहीं नई बांचिस~
चोरी करे काहीं नई बांचिस
राख धरा दिये ना
काबर राख धरा दिये ना
तेहां आगी के ओखी आये रे, भरमाये रे चोला में दाग लगा दिये ना
तेहां आगी के ओखी आये रे, भरमाये रे काया में दाग लगा दिये ना
चोला में दाग लगा दिये बैरी, काया में दाग लगा दिये ना
काया में दाग लगा दिये पापी, चोला में दाग लगा दिये ना
तेहां आगी के ओखी आये रे, भरमाये रे चोला में दाग लगा दिये ना
तेहां आगी के ओखी आये रे, भरमाये रे काया में दाग लगा दिये ना
जिनगी ला मोर बिगाड़ करे
शनि गिरहा सही झपाके
शनि गिरहा सही झपाके
जिनगी ला मोर बिगाड़ करे
शनि गिरहा सही झपाके
शनि गिरहा सही झपाके
सनसो करई जादा-के रोवई मा
आंसू ह घलो सुखागे
आंसू ह घलो सुखागे
सनसो करई जादा-के रोवई मा
आंसू ह घलो सुखागे
आंसू ह घलो सुखागे
जिये सकंव नहीं मरे सकंव नहीं~
जिये सकंव नहीं मरे सकंव नहीं
श्राप लगा दिये ना
काबर श्राप लगा दिये ना
तेहां आगी के ओखी आये रे, भरमाये रे चोला में दाग लगा दिये ना
तेहां आगी के ओखी आये रे, भरमाये रे काया में दाग लगा दिये ना
चोला में दाग लगा दिये ना, काया में दाग लगा दिये ना
गायन शैली : ?
गीतकार : पंचराम मिर्झा
रचना के वर्ष : ?
संगीतकार : पंचराम मिर्झा
गायन : श्रीमति कुलवंतीन मिर्झा
एल्बम : पंचराम मिर्झा के लुभावन गीत – टी सीरीज
संस्था/लोककला मंच : ?
यहाँ से आप MP3 डाउनलोड कर सकते हैं
गीत सुन के कईसे लागिस बताये बर झन भुलाहु संगी हो
संगी मन के गोठ …