प्रस्तुत गीत श्री राहुल सिंह जी (सिंहावलोकन ब्लाग) से ई-मेल द्वारा प्राप्त होय हे ।
आ~~~~~
आ~~~~~
हो~~~~~
हो~~~~~
हूँ~~~
हूँ~~~
हूँ~~
हूँ~
काबर समाये रे मोर, बैरी नैना मा
काबर समाये रे मोर, बैरी नैना मा
झूलत रहिथे तोरे चेहरा
ए हिरदे के अएना मा
काबर समाये रे मोर, बैरी नैना मा
काबर समाये रे मोर, बैरी नैना मा
अपने अपन मोला हांसी आथे
सुरता मा तोर रोवासी आथे
अपने अपन मोला हांसी आथे
सुरता मा तोर रोवासी आथे
का जादू डारे
ए~ ए~ रे टोनहा तैं
ए पिंजरा के मैंना मा
काबर समाये रे मोर, बैरी नैना मा
काबर समाये रे मोर, बैरी नैना मा
आथे घटा करिया घनघोर
झूमर जाथे मंजूर मन मोर
आथे घटा करिया घनघोर
झूमर जाथे मंजूर मन मोर
पुरवईया असन
आ~ आ~ आजे संगी
पानी हो के रैना मा
काबर समाये रे मोर, बैरी नैना मा
काबर समाये रे मोर, बैरी नैना मा
का होगे मोला तोर गीत गा के
नाचे के मन होथे
काम बुता मा मन नइ लागे
धकर धकर तन होथे
आके कुछु कहिते
ए~ ए~ ए संगवारी
मया के बोली बैना मा
काबर समाये रे मोर, बैरी नैना मा
काबर समाये रे मोर, बैरी नैना मा
झूलत रहिथे तोरे चेहरा
ए हिरदे के अएना मा
काबर समाये रे मोर, बैरी नैना मा
काबर समाये रे मोर, बैरी नैना मा
गायन शैली : ?
गीतकार : लक्ष्मण मस्तुरिया
रचना के वर्ष : ?
संगीतकार : खुमान गिरजा
गायिका : संगीता चौबे
एल्बम : ?
संस्था/लोककला मंच : ?
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