हो~~~~~रे~~~~
पूजा परय पुजेरी के संगी (हे~~य)
अरे~रे~रे धोवा चाऊर चढ़ाई हे (हे~~य)
पूजा परत हे मोर गोवर्धन के ददा शोभा बरन नहीं जाए (हे~~)
हो~येह~~~~~
धमधा बांधेव पचेरी रे~ भेड़ा (हे~~य)
अरे गांठे दिये~~ हरेरईहा (हे~~य)
गाय केहेव धावर वो तेल पठरे दे घोरे रईहा (हे~~)
आरा~~रा~रा~रा~रा~रा~रा
हरदी पिसेंव कसौंदी वो दाई (हे~~य)
अउ घस घस पिसेंव आदा (हे~~य)
गाय केहेव धावर वो तें सोहई पहिरले सादा हे (हे~~)
हो~येह~~~~~
हरिना हरिना तें दिखे रे भेड़ा (हे~~य)
अरे~ हरिन सुवा के~~ चोंच ऐ (हे~~य)
हरिन बरोबर मोर भेड़ा दिखत हे ददा बरे सुरूज के जोंड़ ऐ (हे~~)
हो~~~~~ओ~ओ
कोन दिये रे दिन जलय गा संगी (हे~~य)
अउ कोन जलय सरी रात (हे~~य)
कोन दिया रे मड़नी में जलय कोन जले दरबार ऐ (अररारारा)
ऐ~~~~ऐह~~~~
सुरूज दिया दिन जलय रे भईया (हे~~य)
अरे चन्दा जलय सरी~ रात (हे~~य)
लक्ष्मी दिया तो मड़नी में जलय पुत्र जलय दरबार ऐ (अररारारा)
आरा~~रा~रा~रा~रा~रा~रा
पीपर पान ला लुही गा संगी (हे~~य)
अउ बोइर पान बनिहार (हे~~य)
मैं तो मानत हव देवरी ददा मोर भेड़न गे हे बनिहार (अररारारा)
बोल दे गोवर्धन भगवान की जय
गायन शैली : राउत नाच
गीतकार : ?
रचना के वर्ष : ?
संगीतकार : ?
गायिका : ?
संस्था/लोककला मंच : ?
यहाँ से आप MP3 डाउनलोड कर सकते हैं
गीत सुन के कईसे लागिस बताये बर झन भुलाहु संगी हो …
राहुल कुमार सिंह
नवम्बर 07, 2010 @ 07:15:12
गजब के गीत उतारे हस ग, एकदम जोरदार.
Billu Bhaiya
नवम्बर 07, 2010 @ 10:13:42
राउत नाच या राउत-नृत्य, यादव समुदाय का दीपावली पर किया जाने वाला पारंपरिक नृत्य है । इस नृत्य में राउत लोग विशेष वेशभूषा पहनकर, हाथ में सजी हुई लाठी लेकर टोली में गाते और नाचते हुए निकलते हैं । गांव में प्रत्येक गृहस्वामी के घर में नृत्य के प्रदर्शन के पश्चात् उनकी समृद्धि की कामना युक्त पदावली गाकर आशीर्वाद देते हैं । टिमकी, मोहरी, दफड़ा, ढोलक, सिंगबाजा आदि इस नृत्य के मुख्य वाद्य हैं । नृत्य के बीच में दोहे गाये जाते हैं । ये दोहे भक्ति, नीति, हास्य तथा पौराणिक संदर्भों से युक्त होते हैं । राउत-नृत्य में प्रमुख रुप से पुरुष सम्मिलित होते हैं तथा उत्सुकतावश बालक भी इनका अनुसरण करते हैं ।
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रावत नृत्य- छत्तीसगढ़ अंचल में ही नहीं अपितु सारे देश में रावतों की अपनी संस्कृति है। उनके रहन-सहन, वेश-भूषा, खान-पान, रस्मों-रिवाज भी भिन्न है। देश के कोन-कोने तक शिक्षा के पहुँचने के बावजूद रावतों ने अपनी प्राचीन धरोहरों की विस्मृत नहीं किया है। यादव अहीर, पहटिया, ठेठवार, राउत आदि नाम से जगत विख्यात् इस जाति के लोग नृत्य पर्व को देवारी (दीपावली) के रूप मे मनाते हैं। रावत नृत्य को अहिरा या गहिरा नाच भी कहते हैं। इसके तीन भाग हैं- सुहई बाँधना, मातर पूजा और काछन चढ़ाना। लक्ष्मी पूजन (सुरहोती) के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा का विधान होता है। राउत अपने इष्ट देव की पूजा करके अपने मालिक के घर सोहई बाँधने निकल पड़ते हैं। गाय के गले में सोहई बाँधकर उसकी बढ़ोतरी की कामना करते हैं और गाते हैं –
सुहाई बनायेंव अचरी पचरी गाँठ दियो हर्रेया।
जउन सुहाई ल छारही, ओला लपट लागे गौर्रेया।।
अपने चिर परिचित को देखकर गाय रंभाने लगती है। सुहाई बाँधते सयम यह ध्यान रखा जाता है कि गायों को सुहाई सजाकर और बैलों को गैहाटी बाँधा जाता है। सुहाई बाँधकर रावत गाने लगते हैं –
एसो के बन बरसा
घरसा परगे हील
गाय कहेंव रे लाली
संगे रेंगाबो पीले
रावत पूरे दल में कौड़ी और मोर पंख से सज धज कर ढोलक, मांदर, झांझ और डंडा के साथ नाचते गाते मालिकों के घर जाते हैं –
उठे रहेव मालिक नौ दस लगगे वासे।
भीतर दुलरवा दूध पीये बाहिर धुले रनवासे।।
यहाँ मालिक के लड़के को दुलरवा ओर मिट्टी के घर को रनवास कहा गया है। आँचलिक गीतों में आत्मीयता प्रकट होती है। लोक संगीत की हर धुन पर रावतों के पग थिरक उठते हैं। वे गाते हैं –
एक सिंग तो ऐसे तैसे
एक सिंग तोर डंडा।
गीजर गीजर के आबे रे
खैरका डांढ़ तोर मूढ़ा।
और गायों का स्वास्थ बना रहे, इसकी कामना करते हुए वे गाने लगते हैं –
बरतरी बाँधेव बछरू
साल भर माड़गे गाई
हँस हँस बाँधेव सोहाई संगी
पांरव राम दोहाई।
सोहाई बाँधने के बाद दान दाता (मालिक) के लिये मंगल कामनाएँ की जाती है। इस अवसर पर लाठी और देव पितरों की पूजा की जाती है। नाचते गाते रावतों को मालिक रुपया-पैसा या धान देकर विदा करते हैं। तब रावत पुन: गा उठते हैं- हरियर चक चंदन, हरियर गोबर आबिना।
गाय गाय कोठा भरे, बरदा भरे शौकीन।।
और रावत अपने मालिक के लाख बरस जीने की कामना करते हुए लौट जाते हैं –
जइसे के मालिक लिए दिये
तइसे देबे आसीसे।
रंग महल में बैठो मालिक
जीयो लाख बरीसे।।
और तीसरा रूप है-काछन चढ़ाना। नाचते गाते देव पितरों की पूजा करते उन्हें अपने शरीर में चढ़ा लेते हैं और गाने लगते हैं :-
एक कांछ कांछैव भईया, दूसर दियेंव लभाई।
तीसर कांछ कांछैव त माता-पिता के दुहाई।।
santosh
सितम्बर 11, 2016 @ 21:47:55
sir apko itni achhi jankari kaha se mili please batayen ..?
SANDEEP KUMAR NETAM
नवम्बर 07, 2010 @ 15:11:07
इससे पढकर मुझे अच्छा लगा
Sanjeeva Tiwari
नवम्बर 07, 2010 @ 17:48:50
देवारी तिहार के झंउहा-झंउहा, चेरिहा-चेरिहा बधई झोंकव संगी.
बढ़ सुघ्घर गीत लगाये हावव आप मन, चोला गदगद होगे. बिल्लू भईया हर अपन गोठ बात म राउत नाच के बारे म बता के ये गाना के महत्तम ला अउ बढ़ा दिस. जय हो भईया आपके बेनामधारी, मोर हिरदे के सपना ला पूरा करईया संगी तोला मोर बारंबार नमस्कार हे.
जय छत्तीसगढ़, जय भारत.
rakesh tiwari
अक्टूबर 13, 2011 @ 22:48:36
ये राउत नाच पारटी रइपूर जिला के मोहदा गांव के आय येमा मु
ख्य स्वर हबय श्री लखन यादव जी के . भाइ लखन ह अंचल समेत दिल्ली मे घलो राउत नाचा के कार्यक्रम करे हाबय………
virendra dalli rajhara
नवम्बर 04, 2012 @ 00:04:34
yeh jankari padkar mane diwali ka anand liya bahut2 dhanyavad
ramadhar sahu
नवम्बर 16, 2012 @ 18:50:11
dewari doha yanha samne hai badhai
kamlesh yadav s/o Bhagwan das yadav
जुलाई 22, 2013 @ 19:16:06
doha – ram naghariya ram ke leke base ganga ke tire. banarasi me rahna re sangi marna ganga tire . jai yadav jai madhav
parasmani
अक्टूबर 30, 2013 @ 23:31:35
mola bahut bahut badhiya lagis aap man k doha ” arr””’ rere””’ bade hoe ta ka hoe jaese pedr khaju are panchi ko chaya nahi to fal llage atee dur””’
shyam lal yadav kharsia
नवम्बर 03, 2013 @ 17:06:04
“RAUT NACHA” , YADAV SAMAJ ki shan hai paramra git ke “BAN GIT ” ko bhi parmpara me lana
Mahendra Kumar Yadav
मार्च 10, 2015 @ 13:20:06
अति सुघ्घर लागिस,
Mahendra Kumar Yadav
मार्च 10, 2015 @ 13:34:57
भारी सुघ्घर लागिस हो |
bhujesh yadav
अक्टूबर 19, 2015 @ 15:52:02
bahut achchha lagis…
Akash yadaw
नवम्बर 03, 2015 @ 10:23:45
ताबङ तोङ रावत नाचा हे भाई
( ईश्वर गवरी गवरा कि जय )
gajendra yadav
नवम्बर 12, 2015 @ 22:59:34
मोला अच्छा लागिस हे तुंहर दोहा हा अउ नवा नवा यादव या राउत दोहा निकलहु जय श्री राम
RAM NARESH YADAV
नवम्बर 24, 2015 @ 16:12:31
RAM RAJ ME DOODH DAHI RE BHEDA AUR KRISHNA RAJ ME GHEE, AGREZ RAJ MA CHAY MILIS TEN LA PHOOK PHHOK KE PEE.
Pradip kumar verma
जुलाई 03, 2016 @ 18:03:02
का गजब हे राऊत गाना भैया
pravin kumar yadav
अक्टूबर 31, 2016 @ 11:00:01
Bahut achha lagis he or rout samaj la badhay bar achha se achha gana prastavit kara jay raut samaj
narendra kumar chourge
नवम्बर 26, 2016 @ 06:41:53
ये गाना ल सुन के बहुत अच्छा लागिस बहुँत छोटे रहे त राउत नचा देखे रहे आप मन के माध्यम सर यादव समाज के प्रसिद्ध लोकनृत्य राउत नचा ल सुनेबर मिलिस अपमानक बहुत बहुत धन्यवाद।