तोला देखे रेहेंव गा … Tola Dekhe Rehenv Ga

पं.द्वारिका प्रसाद तिवारी ‘विप्र’

पं.द्वारिका प्रसाद तिवारी ‘विप्र’ का जन्म ‘जूना’ बिलासपुर में सन् 1908 की 6 जुलाई को हुआ। विप्र जी के पिता का नाम पं. नान्‍हूराम तिवारी और माता का नाम देवकी था। विप्र जी, दो भाई और दो बहनों में मंझले थे। विप्र जी जब 14-15 वर्ष की आयु के हुए तभी से इनका झुकाव इस आंचल की लोक परंपराओं तथा लोकगीतों की ओर हुआ। हाई स्‍कूल तक की शिक्षा इन्‍होंनें बिलासपुर में ही प्राप्‍त की फिर इम्‍पीरियल बैंक रायपुर एवं सहकारिता क्षेत्र में कार्य करते हुए सहकारी बैंक बिलासपुर में प्रबंधक नियुक्‍त हुए। सन् 1934 में आपकी एक छोटी सी पुस्तिका छत्तीसगढ़ी भाषा में “कुछू कहीं” नाम की प्रकाशित हुई। उसमें मात्र 10 गीत ही थे। लेकिन लोकगीतों की धुन पर नव आयाम का संदेश लिए हुए थे। आगे चलकर विप्र जी की पुस्तिका ‘सुराज गीत’, ‘गाँधी गीत’, ‘योजना गीत’, ‘फागुन गीत’, ‘डबकत गीत’ नाम की प्रकाशित हुई। आपकी अन्य पुस्तके हैं – राम अउ केंवट संग्रह, कांग्रेस विजय आल्हा, शिव-स्तुति, क्रांति प्रवेश, गोस्वामी तुलसीदास (जीवनी), महाकवि कालिदास कीर्ति ।

विप्र जी के व्यक्तित्व में एक अल्हड़पन अवधूतपन मार्गदर्शन एवं परदुखकातर की भावनाएं निहित थी। उनकी गणना एक महान सुधारक एवं राष्ट्रप्रेमी की श्रेणी में की जा सकती है।

आपकी कविता के मुख्य विषय है – प्रेम, श्रृंगार एवं राष्ट्रीयता। इनके अतिरिक्त आपने तीखे हास्य-व्यंग्य गीत भी लिखे हैं। आपकी भाषा अभिधात्मक है तथा शैली इतिवृत्तात्मक भारतेन्दु तथा द्विवेदी गीत प्रवृतियाँ आपकी कविताओं में परिलक्षित होती है। पं.सुन्दरलाल शर्मा आपके नाना ससुर थे। विप्र जी भारतेन्दु साहित्य-समिति के प्रधान सचिव थे।

धमनी हाट
तोला देखे रेहेंव गा, हो तोला देखे रेहेंव रे
धमनी के हाट मा, बोईर तरी रे
लकर धकर आये जोही, आंखी ला मटकाये
कइसे जादु करे मोला, सुक्खा मा रिझाये
चूंदी मा तैं चोंगी खोचे, झूलूप ला बगराये
चकमक अउ सोल मा, तैं चोंगी ला सपचाये
चोंगी पीये बइठे बइठे, माडी ला लमाये
घेरी बेरी देखे मोला, हांसी मा लोभाये
चना मुर्रा लिहे खातिर, मटक के तैं आये
एकटक निहारे मोला, बही तैं बनाये
बोइर तरी बइठे बइहा, चना मुर्रा खाये
सुटूर सुटूर रेंगे कइसे, बोले न बताये
जात भर ले देखेंव तोला, आंखी ला गडियाये
भूले भटके तउने दिन ले, हाट म नई आये
तोला देखे रेहेंव गा, हो तोला देखे रेहेंव रे

 

आइये सुनते हैं आपकी रचना “धमनी हाट” का गीत…

तोला देखे रेहेंव गा

तोला देखे रेहेंव गा, हो तोला देखे रेहेंव रे~~
धमनी के हाट मा, बोइर तरी रे
तोला देखे रेहेंव गा, हो तोला देखे रेहेंव रे~~
धमनी के हाट मा, बोइर तरी रे
तोला, देखे रेहेंव गा~

लकर धकर आये जोही, आंखी ल मटकाये गा
लकर धकर आये जोही, आंखी ल मटकाये गा
कइसे जादु करे मोला
कइसे जादु करे मोला, सुक्खा म रिझाये
तोला देखे रेहेंव गा, तोला देखे रेहेंव रे~~
धमनी के हाट मा बोइर तरी रे
तोला देखे रेहेंव गा, तोला देखे रेहेंव रे~~
धमनी के हाट मा, बोइर तरी रे
तोला, देखे रेहेंव गा~

चोंगी पिये बइठे बइठे, माड़ी ल लमाये गा
चोंगी पिये बइठे बइठे, माड़ी ल लमाये गा
घेरी-बेरी देखे मोला
घेरी-बेरी देखे मोला, बही तें बनाये
तोला देखे रेहेंव गा, तोला देखे रेहेंव रे~~
धमनी के हाट मा बोइर तरी रे
तोला देखे रेहेंव गा, तोला देखे रेहेंव रे~~
धमनी के हाट मा, बोइर तरी रे
तोला, देखे रेहेंव गा~

बोइर तरी बइठे बइहा, चना-मुर्रा खाये गा
बोइर तरी बइठे बइहा, चना-मुर्रा खाये गा
सुटूर सुटूर रेंगे कइसे
सुटूर सुटूर रेंगे कइसे, बोले न बताये
तोला देखे रेहेंव गा, तोला देखे रेहेंव रे~~
धमनी के हाट मा बोइर तरी रे
तोला देखे रेहेंव गा, तोला देखे रेहेंव रे~~
धमनी के हाट मा, बोइर तरी रे
तोला, देखे रेहेंव गा~


गायन शैली : ?
गीतकार : पं.द्वारिका प्रसाद तिवारी ‘विप्र’
रचना के वर्ष : ?
संगीतकार : ?
गायन : कविता वासनिक
संस्‍था/लोककला मंच : ?

कविता वासनिक
कविता वासनिक

 

यहाँ से आप MP3 डाउनलोड कर सकते हैं

गीत सुन के कईसे लागिस बताये बर झन भुलाहु संगी हो …

24 टिप्पणियां (+add yours?)

  1. राहुल सिंह
    जुलाई 10, 2011 @ 07:41:23

    गीतकार तो निसंदेह द्वारिका प्रसाद तिवार ‘विप्र’ जी हैं, यह तो उनकी सिग्‍नेचर रचना जैसा गीत है, इसी शीर्षक ‘धमनी हाट’ नाम से पुस्‍तक भी प्रकाशित है.

    प्रतिक्रिया

  2. Harihar Vaishnav
    जुलाई 10, 2011 @ 17:04:08

    Waa! gajab sundar geet, gajab ke sangeet au gajab ke gaayan. Kaa baat he! Jee ha judaa ge.

    प्रतिक्रिया

  3. Hindi SMS
    जुलाई 10, 2011 @ 17:47:48

    बढ़िया।

    प्रतिक्रिया

  4. hemant
    जुलाई 10, 2011 @ 20:58:49

    bahaut hi badhiya gana. me aisane gana khajat rahev . thank u n jai johar jai chhattisgarh.

    प्रतिक्रिया

  5. Prabhakar Goel
    जुलाई 11, 2011 @ 10:03:55

    Ati madhur geet. Sun kar man prassanna ho gaya. ye geet download nahi ho raha hai, kya kiya jaye?

    प्रतिक्रिया

  6. girish pankaj
    जुलाई 11, 2011 @ 11:20:17

    gazab sugghar…madhur geet

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  7. Dharmendra Parihar
    जुलाई 11, 2011 @ 14:48:08

    One of the finnest Chhattisgarhi creation. (Music and poetry both )

    प्रतिक्रिया

  8. c.r.sahu
    जुलाई 12, 2011 @ 21:50:27

    Very nice lyric of Pt. Dwarika Prasad Tiwari ‘vipra’, sung by Kavita Vasnik and melodious composition of ? ( please specify who knows)

    प्रतिक्रिया

  9. Gobinda satnami
    जुलाई 12, 2011 @ 22:46:50

    Kiya bathai aap ke git ke to ou koe jawab naiye vai dil khus hoge ka sur he ka aawaje he ka bool he aese git sunke to morpurna LOVER ke surta par jathe

    प्रतिक्रिया

  10. naveen kumar tiwari
    जुलाई 15, 2011 @ 22:31:45

    kavita vasnik ke bahut se geet madhur hai unme se eak geet ka rasaswaden apke marfat mil bahoot accha laga , vasnik ji ke gane to vidiyo me bhi mil jate hai, per is geet ke rachyita shra dwarika prasad tiwari ke likhe geeto ki bat hi khuch aur hai , aap log isi prakar chattisgarh ke matiputro ki sewa kar rahe hai bhavishya aap logo ke prayas ko dekh raha hai , dhanywad, jai johar jai chattisgarh.

    प्रतिक्रिया

  11. Deepak Kumar Vyas
    अगस्त 05, 2012 @ 13:11:40

    Ati sunder rachana hai..aur akita ji ke madhur swar ne ese karnpriy banadiya hai…unke ujwal swathya aur safal jeevan ki kamana..nischay hi late. shri d.p.tiwari ji eak mahan rachnakar they jo chhattisgarh ki bhasha aur sanskriti,parivesh par pakad rakhte they.
    yadi aap late shri Babulal ji Siriah”Durlabh’ ji ki kaviatao ko bhi jagah de paye to khushi hogi..
    dhanyawad.

    प्रतिक्रिया

  12. Heeradhar Sinha
    सितम्बर 12, 2012 @ 08:26:40

    marm sparshi avam bahut hi sundar geet hai.

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  13. Rajendra Kumar Sahu
    मार्च 08, 2013 @ 12:46:18

    bahut achha

    प्रतिक्रिया

  14. gupendra
    नवम्बर 16, 2013 @ 17:34:59

    this song is good as well as voice of kavita ji is very good

    प्रतिक्रिया

  15. Chhaliya Ram Sahani 'ANGRA'
    जनवरी 30, 2015 @ 13:53:56

    ye gana ke rachna au photo duno ke sambandh bahut purana he taise lagthe..

    प्रतिक्रिया

  16. Sukeshmarkam
    जून 11, 2015 @ 14:54:36

    81201577

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  17. Digu
    अगस्त 20, 2015 @ 09:11:14

    mor man ha gad gad hoge

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  18. रामचंद देवांगन
    अक्टूबर 01, 2015 @ 21:01:01

    छत्तीसगढ़ी गीत सुन के मोर मन गदगद हो जथे
    छत्तीसगढ़ी पुराना गीत मोला जादा सुने ल भाथे

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  19. harish kurrey jawali
    दिसम्बर 03, 2016 @ 20:03:43

    बनेच सुग्घर लागिस

    प्रतिक्रिया

  20. harish kurrey jawali
    दिसम्बर 03, 2016 @ 20:07:39

    बनेच सुग्घर लागिस
    अउ इशने गीत ला सहेज के राखे बर धन्यवाद

    प्रतिक्रिया

  21. Rajkumar chandrakar
    जुलाई 10, 2017 @ 09:36:38

    Mujhe cg lokgeet bahut pasand hai yah geet bhi bahut achchha hai

    प्रतिक्रिया

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