भड़ौनी व गारी गीत
बरात परघाय के बाद बराती मन ल जेवनास ले जाये जाथे। उहां मरदनिया ह सब झनके पांव धोवाथे जेला ‘गोड़धोई’ कहे जाथे। एकर बाद वधू पक्ष के सुवासिन मन पर्रा म गोबर के मुठिया, राहर के काड़ी अउ भाजी लेके जेवनास म जाथे। वर के तिर म जाके ओला भाजी खवाये के उदीम करथे। वर ह ‘बिजना’ ले ओकर हाथ हटाथे। एला ‘लालभाजी’ खवाये के नेंग कहे जाथे।
एकर बाद बराती मन-ल नास्ता अउ सरबत दे जाथे। भाजी खवाये के बेरा गाये जाने वाला गीत ल ‘भड़ौनी’ अउ बाद म खाना खवाये के बेरा गाये जाने वाला गीत ल ‘गारी’ कहे जाथे। ये गीत म वर-पक्ष बर गारी रइथे तभो ले कोनों ह एकर बर रिस नई करय। वो मन भोजन के संग-संग गारी के सवाद घलो चखत रथे। गीत म गारी कभू समधी ल, त कभू समधिन ल अउ कभू दुल्हा राजा ल दे जाथे। गारी दे के अर्थ बराती मन के निरादर करना नई रहाय बल्कि हंसी-मजाक करना होथे। छत्तीसगढ़ी भड़ौनी व गारी गीत हांसी-ठठ्टा ले भरे होय के संगे-संग अप्रत्यक्ष रूप ले स्लील अउ प्रत्यक्ष रूप ले अस्लील दुनों परकार के भाव ले समाय होथे। तभो ले अस्लीलता ह अपन सीमा के बाहिर नई जाय।
भड़ौनी व गारी गीत के कुछ उदाहरण
समधी के लिए गीत
बने बने तोला जानेंव समधी, मड़वा में डारेंव बांस रे
झालापाला लुगरा लाने, जरय तुंहर नाक रे
दार करे चांउर करे, लगिन ला धराये रे
बेटा के बिहाव करे, बाजा ल डराये रे
मेंछा हावय लाम लाम, मुंहू हावय करिया रे
समधी बिचारा का करय, पहिरे हावय फरिया रे
मेंछा हावय कररा कररा, गाल हे तुंहर खोधरा रे
जादा झन अतियाहव समधी, होगे हावव डोकरा रे
समधिन के लिए गीत
बरा खाहूं कहिथव समधिन, कहां के बरा पाबे रे
हात गोड़ के बरा बना ले, टोर टोर के खाबे रे
खाये बर मखना पिराये बर पेट रे
का लइका बिआए समधिन हंसिया के बेंट रे
पातर पातर मुनगा फरय, पातर लुरय डार रे
पातर हवय समधीन छिनारी, ओकर नइये जात रे
खीरा फरिच जोंधरी फरिच, फरिच हावय कुंदरू रे
समधिन दारील हम नचाबोन, गोड़ में बांध-ही घुंघरू रे
डमरू हावय दफड़ा हावय, ओला हम बजवाबो रे
हमर समधिन दारी ला, बजनिया संग नचवाबो रे
कोदो के हवै दुई दुई झंसा, रैला चना के दुई दार
समधिन के हवय तीनि बहिनिया, कोन त अकल छिनरिया
बड़की ऐ लबरी छुटकी हे बपुरी, मंझली हे छिनरिया
छुटकी रे बपुरी कुछु नई जानय, खोजि खोजि करे लगवारा
दुल्हा राजा के लिए गीत
आमा पान के बिजना, हालत झूलत आथे रे
किसबिन के बेटा हर, बरात लेके आथे रे
करिया करिया दिखथव दुलरू, काजर कस नई आंजेव रे
तोर दाई गेहे पठान घर, घर घर बासी मांगेच रे
सुंदर हवस कहिके दुलरवा, हम-ला दियेव दगा रे
बिलवा हावय मुंहू तुंहर, नोंहव हमर सगा रे
आमा पान के पुतरी, लिमउआ छू छू जाय रे
दुल्हा डउका दुबर होगे, सीथा बिन बिन खाये रे
आओ सुनथन आज के गीत…
बने बने तोला जानेंव समधी, मड़वा में डारेंव बांस रे
बने बने तोला जानेंव समधी, मड़वा में डारेंव बांस रे
जालापाला लुगरा लानेंव, जरगे तोरे नाक रे
जालापाला लुगरा लानेंव, जरगे तोरे नाक रे
दार करे चांउर करे, लगिन ला धराये रे
दार करे चांउर करे, लगिन ला धराये रे
बेटा के बिहाव करे, बाजा ल डर्राये रे
बेटा के बिहाव करे, बाजा ल डर्राये रे
मेंछा हावे कररा कररा, गाल तुंहर खोधरा रे
मेंछा हावे कररा कररा, गाल तुंहर खोधरा रे
जादा झन अटियाव समधी, होगे हावव डोकरा रे
जादा झन अटियाव समधी, होगे हावव डोकरा रे
नदिया तीर के बांमी मछरी, सलमल सलमल करथे रे
नदिया तीर के बांमी मछरी, सलमल सलमल करथे रे
आये हे बरतिया मन हा, तलमल तलमल करथे रे
आये हे बरतिया मन हा, तलमल तलमल करथे रे
नदिया तीर मा आये बरतिया, चिंगरी भूंज भूंज खाये रे
नदिया तीर मा आये बरतिया, चिंगरी भूंज भूंज खाये रे
मेछा जरगे फोरा परगे, रायपुर काबर आये रे
मेछा जरगे फोरा परगे, रायपुर काबर आये रे
गायन शैली : ?
गीतकार : ?
रचना के वर्ष : ?
संगीतकार : ?
गायन : ममता चंद्राकर
संस्था/लोककला मंच : ?
ममता चंद्राकर
यहाँ से आप MP3 डाउनलोड कर सकते हैं
गीत सुन के कईसे लागिस बताये बर झन भुलाहु संगी हो …
Harihar Vaishnav
जून 14, 2011 @ 10:45:51
Aitihaasik prayaas. Abhinandan aur aabhaar.
राहुल सिंह
जून 14, 2011 @ 11:02:00
बढि़या चलत हे, चलात रहव. हो सकत हे हर बार कमेंट न दे पान, लेकिन देखत लगातार हन.
b.p. goyal
जून 15, 2011 @ 16:18:22
मजा आगे
amit jangde
जून 18, 2011 @ 23:20:24
badhiya he bhai
Daulat Ram Chauhan
अक्टूबर 07, 2011 @ 13:22:28
आप के द्वारा शांतिकुंज का जो सन्देश सद्वाक्य आपके वेबसाइट पर दिखाया जा रहा है वह बहुत ही अच्छा एवं प्रेरणास्पद है .
shishir deshmukh
अक्टूबर 17, 2011 @ 14:10:16
bahut sunder………..
sumeet nishad
मई 02, 2012 @ 17:51:26
mola to abbad badhiya lagat he
bhagyasumeet nishad
मई 02, 2012 @ 17:53:15
sable badhiya chhattisgadhiya
Akshay Thakur
जुलाई 07, 2012 @ 11:14:58
Wonderful site,great effort made by you man, really appreciate it 🙂
Vikas Sharma
अगस्त 18, 2012 @ 09:50:57
Sable badhiya chhattisgadhiya
Shatrughan Sahu
जून 14, 2014 @ 18:00:02
f
Shatrughan Sahu
जून 14, 2014 @ 18:00:48
Bahut Bahut aabhar aap man ke
Devendra Kumar Bharti
जनवरी 30, 2015 @ 09:26:18
यदि आप के पास लोकरंग अर्जुन्दा के पुराना गाना होही तेला जल्दी से मोला भेजे के कष्ट करव ।
धन्यवाद
Devendra Kumar Bharti
जनवरी 30, 2015 @ 09:31:27
धन्यवाद! कि आप मन के सति हमन ला अइसन गाना पढ़े अउ सुने बर मिलथे।
Chhaliya Ram Sahani 'ANGRA'
जनवरी 30, 2015 @ 13:37:48
Bina bhadauni ke bihaw besuwad he.
loknath sahu
जनवरी 02, 2017 @ 09:13:15
bahut bdiya
loknath sahu
जनवरी 02, 2017 @ 09:14:47
बहुत बडिया
Loknath Sahu
जनवरी 02, 2017 @ 09:17:44
बूझो बूझो बरसना गिरेला पानी बेजो
Devendra Ramachandra chitriv
मार्च 29, 2017 @ 01:38:32
Loksangeet ka sachmuch dusra saani nahi